जो कह दिया वह शब्द थे ;
जो नही कह सके, वो अनुभूति थी ॥
जो कहना है, मगर कह नही सकते, वो मर्यादा है ॥
जिंदगी का क्या है ?
आकर नहाया, और, नहाकर चल दिए ॥
बातपर गौर करना, पत्तोंसी होती है, कई रिश्तो˙की की उम्र,
आज हरे.. । कल सूखे ।
क्यो, न हम जडों से रिश्ते निभाना सीखे ।
रिश्तोंको निभाने के लिये, कभी अंधा, कभी गुंगा,
और कभी बहरा होना ही पडता है ॥
बरसात गिरी और कानो में इतना कह गई की,
गर्मी हमेशा किसी की भी नही रहती ॥
नसिहत, नर्म लहजे मे ही अच्छी लगती है ॥
क्योंकी, दस्तक का मकसद, दरवाजा खुलवाना होता है, तोडना नहीं॥
घमंड.. । किसीका भी नही रहा, टुटने से पहले,
गुल्लक को भी लगता है कि,सारे पैसे उसी के है ।
जिस बात पर, कोई मुस्कूरा दे, बात.. ।
वही बात खुबसुरत है ॥
थमती नही जिंदगी कभी, किसीके बिना ।
मगर, यह गुजरती भी नहीं, अपनो के बिना ॥